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    माँ दुर्गा की विस्तृत कथा

    माँ दुर्गा की विस्तृत कथा

    प्रस्तावना

    माँ दुर्गा हिंदू धर्म में शक्ति, नारीत्व, और विजय की प्रतीक हैं। वे आदिशक्ति हैं, जो संसार की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अवतरित होती हैं। देवी दुर्गा का प्राकट्य, उनके विविध अवतार, महिषासुर वध, और उनके अन्य पराक्रमों की कथाएँ पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित हैं। यह कथा देवी दुर्गा के महात्म्य, उनके अवतारों, उनकी आराधना और उनके प्रभाव को समर्पित है।


    Durga


    1. माँ दुर्गा का जन्म और उत्पत्ति

    देवी दुर्गा की उत्पत्ति का वर्णन मार्कण्डेय पुराण में किया गया है। यह कथा त्रेतायुग की है, जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ चुका था। महिषासुर नामक असुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था।

    महिषासुर को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसे कोई भी देवता, दानव या मानव नहीं मार सकता। इस वरदान के कारण उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर त्रिलोक में अत्याचार मचाना शुरू कर दिया। परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु और शिव के पास पहुँचे और उन्हें अपनी व्यथा सुनाई।

    तब भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा सहित सभी देवताओं ने अपनी-अपनी दिव्य शक्तियाँ प्रकट कीं। इन शक्तियों के मेल से माँ दुर्गा का प्राकट्य हुआ। वे असाधारण रूप से तेजस्वी, दिव्य, और शक्ति से संपन्न थीं। देवताओं ने उन्हें अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। वज्र इन्द्र ने, त्रिशूल शिव ने, चक्र विष्णु ने, तलवार कालभैरव ने, धनुष वरुण ने, और सिंह पर्वतों के राजा हिमालय ने प्रदान किया।


    2. महिषासुर वध

    जब महिषासुर को माँ दुर्गा के प्राकट्य का समाचार मिला, तो उसने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा। नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। माँ दुर्गा ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए महिषासुर की सेना का नाश कर दिया।

    महिषासुर मायावी था, वह कभी हाथी, कभी सिंह, और कभी भैंसे का रूप धारण कर युद्ध करता रहा। अंततः माँ दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। इसी कारण विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।


    3. माँ दुर्गा के नौ रूप (नवरात्रि के नौ दिन)

    माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हैं, जिन्हें नवरात्रि के नौ दिनों में पूजा जाता है:

    1. शैलपुत्री - पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
    2. ब्रह्मचारिणी - ज्ञान और तपस्या की देवी।
    3. चंद्रघंटा - शांति और सौम्यता की प्रतिमा।
    4. कूष्मांडा - ब्रह्मांड की सृजनकर्ता।
    5. स्कंदमाता - भगवान कार्तिकेय की माता।
    6. कात्यायनी - महर्षि कात्यायन की तपस्या से उत्पन्न।
    7. कालरात्रि - अंधकार और बुराई का नाश करने वाली।
    8. महागौरी - शुद्धता और शांति की देवी।
    9. सिद्धिदात्री - सभी सिद्धियों को देने वाली।

    4. माँ दुर्गा की अन्य कथाएँ

    माँ दुर्गा ने महिषासुर के अलावा भी अनेक दुष्टों का नाश किया है। उन्होंने शुंभ-निशुंभ, रक्तबीज, चंड-मुंड जैसे असुरों का संहार कर भक्तों की रक्षा की। रक्तबीज का वध विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि वह अपने रक्त की प्रत्येक बूंद से एक नया राक्षस उत्पन्न कर सकता था। माँ दुर्गा ने काली का रूप धारण कर उसके रक्त को पी लिया और उसका अंत किया।


    5. माँ दुर्गा की आराधना और महत्त्व

    माँ दुर्गा की आराधना से भक्तों को शक्ति, धैर्य, साहस और विजय प्राप्त होती है। विशेष रूप से नवरात्रि में माँ की पूजा अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं, माँ के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।


    6. उपसंहार

    माँ दुर्गा अनंत शक्ति और ममता की प्रतीक हैं। वे अपने भक्तों को सदैव संकटों से बचाती हैं और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। उनका चरित्र हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने वाले को अंततः विजय अवश्य मिलती है।

    जय माता दी! 

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