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    राम नवमी: एक सम्पूर्ण धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिचय

    राम नवमी: एक सम्पूर्ण धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिचय

    1. प्रस्तावना (भूमिका)

    राम नवमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। राम नवमी केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पर्व भी है जो भारतवर्ष की आत्मा में समाहित है। इस दिन अयोध्या नगरी भगवान श्रीराम के जयघोषों से गूंज उठती है।

    भगवान श्रीराम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' कहा गया है क्योंकि उन्होंने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मर्यादाओं का पालन किया और धर्म की स्थापना की। राम नवमी के दिन भक्त उपवास करते हैं, रामचरितमानस का पाठ करते हैं, मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और राम जन्म का उत्सव मनाया जाता है।

    Lord Rama


    2. भगवान श्रीराम का जीवन परिचय

    2.1 जन्म और बाल्यकाल:

    भगवान श्रीराम का जन्म त्रेता युग में अयोध्या नगरी में हुआ था। वे राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियाँ थींकौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए ऋष्यशृंग ऋषि के निर्देशन में पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें चार पुत्र प्राप्त हुएराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न।

    2.2 शिक्षा और दीक्षा:

    श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ से शिक्षा प्राप्त की और गुरु विश्वामित्र के साथ रहकर अनेक विद्याओं और अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान प्राप्त किया। इसी समय उन्होंने ताड़का का वध किया और अहिल्या का उद्धार भी किया।

    2.3 सीता स्वयंवर:

    जनकपुरी (मिथिला) में राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के लिए स्वयंवर रचाया। उन्होंने शर्त रखी कि जो भी शिव धनुष को उठाकर उसे तोड़ेगा, वही सीता से विवाह करेगा। श्रीराम ने वह धनुष तोड़ दिया और सीता से उनका विवाह हुआ। साथ ही उनके भाइयों का विवाह जनक की अन्य पुत्रियों से हुआ।

    2.4 वनवास:

    राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या का युवराज घोषित किया, परन्तु कैकेयी ने अपने पुत्र भरत के लिए राजा दशरथ से दो वरदान मांगेराम के लिए 14 वर्षों का वनवास और भरत का राजतिलक। श्रीराम ने पिता की मर्यादा हेतु वनवास स्वीकार कर लिया। उनके साथ सीता और लक्ष्मण भी वन गए।

    2.5 रावण वध:

    वनवास के दौरान रावण ने सीता का हरण किया। इसके बाद श्रीराम ने हनुमान, सुग्रीव और वानर सेना की सहायता से लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।

    2.6 राम राज्य:

    विजय के पश्चात श्रीराम अयोध्या लौटे और उनका राज्याभिषेक हुआ। उनका शासन 'राम राज्य' कहलाया, जो न्याय, धर्म, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

    3. राम नवमी का पौराणिक महत्व

    राम नवमी का वर्णन अनेक पुराणों और ग्रंथों में मिलता है। रामायण, वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, विष्णु पुराण आदि में भगवान राम के जन्म का विवरण मिलता है। माना जाता है कि जब पृथ्वी पर अधर्म, अत्याचार और राक्षसी शक्तियाँ बढ़ गई थीं, तब भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए श्रीराम के रूप में अवतार लिया। माता कौशल्या ने गहन तपस्या और व्रतों के माध्यम से भगवान को प्रसन्न किया। दशरथ के यज्ञ से प्राप्त खीर को तीनों रानियों में बांटा गया जिससे चारों पुत्रों का जन्म हुआ।

    4. राम नवमी का धार्मिक महत्व

    राम नवमी केवल जन्मदिन का उत्सव नहीं है, यह धर्म और मर्यादा की स्थापना का प्रतीक है। भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है जो धर्म की रक्षा हेतु अवतरित हुए। इस दिन रामचरितमानस और रामायण का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। भक्तों का विश्वास होता है कि राम नवमी पर व्रत, पूजा, और ध्यान से जीवन में पवित्रता आती है और पापों का नाश होता है।

    5. राम नवमी का सांस्कृतिक महत्व

    राम नवमी भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है। हर राज्य में इसे अलग तरह से मनाया जाता है:

    • उत्तर प्रदेश में अयोध्या में भव्य शोभायात्राएँ निकलती हैं।
    • दक्षिण भारत में भजन संध्या, प्रवचन और पवित्र स्नान का आयोजन होता है।
    • महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में विशेष कीर्तन होते हैं।
    • नेपाल और मारीशस जैसे देशों में भी इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

    6. राम नवमी कैसे मनाई जाती है?

    6.1 उपवास और पूजा:

    भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। कुछ लोग निर्जल उपवास करते हैं, जबकि कुछ फलाहार करते हैं। सुबह स्नान करके रामलला की मूर्ति या तस्वीर को सजाया जाता है, उन्हें पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं।

    6.2 पूजा विधि:

    1.    भगवान राम की मूर्ति को स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं।

    2.    तिलक, फूल, अक्षत और धूप-दीप से पूजा की जाती है।

    3.    रामचरितमानस या बालकांड का पाठ किया जाता है।

    4.    राम जन्म की लीला की झांकी सजाई जाती है।

    5.    दोपहर 12 बजे राम जन्म की आरती की जाती है।

    7. राम नवमी और नवरात्रि

    राम नवमी चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन होता है। यह शक्ति और धर्म के मिलन का प्रतीक है। नवरात्रि के नौ दिन शक्ति की उपासना की जाती है और दसवें दिन धर्म की स्थापना के प्रतीक श्रीराम का जन्म उत्सव मनाया जाता है। इस तरह यह पर्व शक्ति और भक्ति का संगम है।

    8. राम नवमी से जुड़े प्रमुख मंदिर

    1.    राम जन्मभूमि, अयोध्या: यही श्रीराम की जन्मस्थली मानी जाती है। यहाँ विशाल मंदिर निर्माण हो रहा है।

    2.    कृष्णाराम मंदिर, आंध्र प्रदेश: राम और कृष्ण की एकता को दर्शाता है।

    3.    सीतामढ़ी मंदिर, बिहार: यहाँ माता सीता का जन्म हुआ माना जाता है।

    4.    कोदंड राम मंदिर, तमिलनाडु

    5.    रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु: रामसेतु का ऐतिहासिक स्थल

    9. श्रीराम का जीवन हमें क्या सिखाता है?

    • मर्यादा: श्रीराम ने हर संबंध में मर्यादा का पालन किया।
    • आदर्श पुत्र: पिता के वचनों की खातिर वनवास स्वीकार किया।
    • आदर्श पति: सीता माता के प्रति निष्ठा।
    • आदर्श भाई: लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न से प्रेम।
    • आदर्श राजा: प्रजा हितैषी और धर्मप्रिय शासन।

    10. विश्व में राम नवमी

    राम नवमी केवल भारत तक सीमित नहीं है। मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद, नेपाल, इंडोनेशिया, सूरीनाम जैसे देशों में यह पर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। इन स्थानों पर रामायण मंडली, कीर्तन और झांकियों का आयोजन होता है।

    11. रामचरितमानस और राम नवमी

    गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में भगवान राम के चरित्र को सुंदर काव्य में प्रस्तुत किया गया है। चैत्र नवरात्रि में बालकांड का विशेष पाठ होता है। तुलसीदास जी ने श्रीराम को 'भवसागर के तारणहार' के रूप में प्रस्तुत किया है।

    प्रसिद्ध चौपाई:

    श्रीरामचरितमानस एक ग्रंथ महान,

    राम के गुणगान से होता जीवन कल्याण।

    12. राम नवमी से संबंधित भजन, मंत्र और आरती

    • मंत्र: " श्रीरामाय नमः"
    • आरती: "श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन..."
    • भजन: "राम नाम का महत्व अपरंपार है..."

    13. राम नवमी के अवसर पर कथा वाचन

    राम कथा वाचन एक विशेष परंपरा है। इसमें श्रीराम के जीवन प्रसंगों को कथा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अयोध्या, चित्रकूट, और मिथिला जैसे स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम के जीवन के विविध प्रसंगों को नाटकीय रूप से प्रस्तुत किया जाता है।

    14. बच्चों और युवाओं को राम नवमी के प्रति कैसे जागरूक करें?

    • विद्यालयों में निबंध, भाषण, चित्रकला प्रतियोगिता
    • राम कथा वाचन, बाल रामलीला आयोजन
    • सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करना

    15. निष्कर्ष

    राम नवमी केवल एक पर्व नहीं, अपितु एक संकल्प है धर्म, मर्यादा, सेवा, और न्याय का। यह दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम भी अपने जीवन में श्रीराम के आदर्शों का पालन करें और एक सच्चे नागरिक बनें। भगवान राम के चरित्र में वह शक्ति है जो युगों-युगों तक मानवता को दिशा देती रहेगी।

    जय श्री राम। 🚩

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